प्राकृतिक चिकित्सा - 15 : प्राकृतिक चिकित्सा क्या है?
हमारा शरीर पाँच प्रमुख तत्वों से बना है- ‘क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा। पंच तत्व यह रचित शरीरा।।’ यदि किसी कारणवश हमारा शरीर अस्वस्थ हो गया है, तो इन्हीं पाँच तत्वों (मिट्टी, पानी, धूप, हवा और उपवास) के समुचित प्रयोग से पुनः स्वस्थ हो सकता है। यही प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान है। प्राकृतिक चिकित्सा का मानना है कि रोग हमारी भूलों अर्थात् गलत जीवन शैली के परिणामस्वरूप होते हैं और शरीर से विकारों को निकालने के माध्यम हैं। यदि हम अपनी भूलों को सुधार लें और विकारों को निकालने में प्रकृति की सहायता करें, तो फिर से पूर्ण स्वस्थ हो सकते हैं। यह प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान का मूल सिद्धांत है। वर्तमान में प्राकृतिक चिकित्सा को एक स्वतंत्र चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता दी गयी है। वास्तव में यह आयुर्वेद का ही एक अंग है। इसकी कई क्रियाएँ आयुर्वेद में पहले से शामिल हैं। आयुर्वेद में इसका उपयोग सहायक उपायों के रूप में किया जाता है। लेकिन आयुर्वेद का प्रसार घटने और अच्छे वैद्यों की कमी के कारण एवं उनका जोर दवाओं पर अधिक हो जाने के कारण अब आयुर्वेदिक वैद्य इन क्रियाओं को भूल गये हैं। दूसरी ओर, आज