प्राकृतिक चिकित्सा - 29 : पेट दर्द की सरल चिकित्सा

पेट का दर्द अन्य शारीरिक दर्दों से अलग प्रकार का होता है इसलिए इसकी चर्चा अलग से की जा रही है।
पेट दर्द प्रायः अचानक उत्पन्न होता है। जब हम भोजन या कोई भी वस्तु अधिक मात्रा में खा लेते हैं या पचने में भारी चीजें खा जाते हैं, तो हमारे पाचन संस्थान पर बहुत दबाव पड़ता है। इसी दबाव से पेट में दर्द हो जाता है। कभी-कभी पेट ठीक से साफ न होने के कारण भी गैस बनती है, जिससे दर्द हो जाता है। पेट दर्द के इनके अलावा और भी कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मुख्य कारण यही हैं।
पेट दर्द होने पर सबसे पहले तो कुछ भी खाना बन्द कर देना चाहिए। पीड़ित व्यक्ति को केवल गुनगुना पानी एक या आधा गिलास पीने को दीजिए। ऐसा कम से कम दो बार करके देखिए। इससे पेट साफ होगा और अधिकांश दर्द इसी से चला जाएगा।
यदि गर्म पानी पीने से आराम न मिले, तो लगभग आधा कप (50 मिलीलीटर) सादा पानी में आठ बूँद (2 या 3 मिलीलीटर) पोदीन हरा (पोदीना का अर्क) डालकर तत्काल पी जाना चाहिए। इससे अपचन के कारण होने वाले पेट दर्द में तुरन्त आराम मिलता है। आवश्यक होने पर इसे एक बार और लिया जा सकता है।
यदि पेट में दर्द गैस बनने के कारण हो रहा है और पोदीन हरा से भी आराम नहीं मिल रहा है, तो पहले चैथाई गिलास पानी में आधे नीबू का रस निचोड़ लीजिए। नीबू के बीज पूरी तरह निकाल दीजिए। अब उसमें खाने वाला अर्थात् मीठा सोड़ा एक चम्मच डालकर चम्मच से हिलाइए। इससे थोड़े झाग बनेंगे। बस उसी समय उसे पी जाइए। ऊपर से थोड़ा सादा पानी पी लीजिए। इससे गैस के कारण होने वाला भयंकर पेट दर्द भी तत्काल चला जाता है।
पेट दर्द फिर से न हो, इसके लिए खान-पान में सुधार करना चाहिए और हानिकारक चीजों से बचना चाहिए। इसके साथ ही पाचन शक्ति सुधारने के उपाय मिट्टी की पट्टी, एनिमा, कटिस्नान, नौली, अग्निसार आदि करने चाहिए। इनमें से कुछ की चर्चा हम पीछे कर चुके हैं। शेष की चर्चा आगे की जाएगी।
यदि किसी को पेट दर्द बार-बार होता है, तो इसका अर्थ है कि उसकी जीवन शैली में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में किसी अनुभवी प्राकृतिक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
-- डाॅ विजय कुमार सिंघल
प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य
मो. 9919997596
पौष शु 10, सं 2076 वि (5 जनवरी, 2020)

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