प्राकृतिक चिकित्सा - 27 : बुखार की सरल चिकित्सा

समाज में डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया तथा अन्य प्रकार के वायरल बुखार बहुत फैलते रहे हैं। सामान्य लोग इनके होते ही घबरा जाते हैं और घबराहट में गलत पग उठा लेते हैं। मैंने इन बुखारों से पीड़ित कई व्यक्तियों का किसी भी दवा के बिना केवल जल और फलों से सफल उपचार किया है, उसे यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह उपचार सभी प्रकार के बुखारों में समान रूप से हितकारी है।
1. बुखार होते ही सबसे पहले उसे थर्मामीटर लगाकर नाप लेना चाहिए। यदि बुखार 100 तक है, तो चिन्ता की कोई बात नहीं है। ऐसा बुखार स्वास्थ्य के लिए एक प्रकार से लाभदायक होता है, क्योंकि वह शरीर के विकारों को भस्म कर देता है। इसलिए उसे अपने आप उतरने देना चाहिए।
2. यदि बुखार 100 से अधिक और 102 तक है, तो वह पाचन प्रणाली की गड़बड़ी और दवाओं के कुप्रभाव के कारण होता है। इसको नियंत्रित करने के लिए पेड़ू पर ठंडे पानी की पट्टियां दो-दो मिनट बाद बदलते हुए तब तक रखनी चाहिए जब तक कि बुखार नीचे न आ जाये। ऐसा दिन में दो-तीन बार करना पड़ सकता है।
3. यदि बुखार 102 या उससे भी अधिक है, तो वह वायरल प्रकार का होता है। ऐसे बुखार में पेड़ू के साथ-साथ माथे पर भी ठंडे पानी की पट्टियां रखनी चाहिए, क्योंकि मस्तिष्क को गर्मी से बचाने की अधिक आवश्यकता होती है। ऐसी पट्टियां तब तक रखनी चाहिए जब तक बुखार 102 से नीचे न आ जाये।
4. बुखार में रोगी को प्रायः भूख नहीं लगती। इसलिए उसका भोजन तुरंत बंद कर देना चाहिए। इसके बजाय उबला हुआ पानी सादा ही या गुनगुना करके हर घंटे पर एक गिलास पीते रहना चाहिए और समय-समय पर मूत्र विसर्जन के लिए भी अवश्य जाना चाहिए।
5. यदि रोगी को भूख लग रही है, तो प्रारम्भ में केवल फलों का ताजा रस या सब्जियों का सूप या दाल का पानी देना चाहिए। चाय, दूध तथा उससे बने पदार्थों का सेवन बुखार में करना उचित नहीं।
6. यदि रोगी को भूख अधिक लग रही है, तो उसे ताजे प्राकृतिक फल या उबली सब्जी या दलिया दिया जा सकता है। बुखार उतर जाने और भूख वापस आने पर ही हल्का साधारण भोजन देना चाहिए।
7. बुखार में प्रायः शरीर में दर्द होता है। यह स्वाभाविक है। इसलिए केवल आराम करना चाहिए और किसी भी हालत में कोई दर्दनाशक दवा नहीं देनी चाहिए।
8. चिकनगुनिया जैसे बुखार में शरीर पर लाल चकते या दाने पड़ जाते हैं। वे भी अपने आप दो-तीन दिन में चले जाते हैं। यदि उनमें बहुत खुजली हो रही हो, तो वहां बर्फ लगायी जा सकती है।
इस प्रकार उपचार करने पर किसी भी तरह का बुखार हो, अधिक से अधिक एक सप्ताह में अवश्य ठीक हो जाता है। धैर्यपूर्वक उपचार करते रहना चाहिए और रोगी को प्रसन्न रखना चाहिए।
-- डाॅ विजय कुमार सिंघल
प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य
मो. 9919997596
पौष शु 4, सं 2076 वि (30 दिसम्बर, 2019)

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

प्राकृतिक चिकित्सा-13 : जल कैसा, कहां एवं कब पीयें ?

प्राकृतिक चिकित्सा -१४ : रोगमुक्ति का रामवाण उपाय : उपवास