प्राकृतिक चिकित्सा - 21 : बुखार का उपचार करती है ठंडे पानी की पट्टी

कई बार शरीर के किसी अंग पर ठंडे पानी की पट्टी रखी जाती है। इसकी विधि यह है कि एक भगौने में खूब ठंडा पानी भर लें। आवश्यक होने पर उसमें बर्फ भी डाली जा सकती है। अब दो छोटे-छोटे तौलिये या रूमाल लें। उनको तह करके इस आकार का बना लें कि उस अंग पर पूरी तरह आ जायें, जिस पर पट्टी रखनी है। अब एक तौलिये को भगौने के पानी में भिगोकर हल्का निचोड़कर उसे उस अंग पर रख दें। ऊपर से उसे किसी ऊनी कपड़े से ढक दें। ठीक दो मिनट तक रखे रहने के बाद दूसरे तौलिये को इसी प्रकार रखें और पहले तौलिये को किसी अन्य बर्तन में अच्छी तरह निचोड़ दें। दो तौलिये इसलिए लिये जाते हैं कि एक पट्टी हटाते ही तत्काल दूसरी पट्टी रखी जा सके। इस प्रकार 15-20 मिनट तक या आवश्यक होने पर अधिक समय तक भी ठंडे पानी की पट्टी रखी जा सकती है। उसके बाद किसी सूखे तौलिये से अच्छी तरह पोंछ देना चाहिए।
ठंडे पानी की पट्टी अधिकतर बुखार आने पर पेड़ू और/या माथे पर रखी जाती है। यदि बुखार 102 डिग्री से कम हो, तो केवल पेड़ू पर और यदि 102 या अधिक हो तो माथे पर भी रखनी चाहिए। इससे बुखार तत्काल काबू में आ जाता है। आवश्यक होने पर दिन में तीन-चार बार भी पट्टी रखी जा सकती है। बुखार में पट्टी के साथ-साथ रोगी को या तो केवल जल पर उपवास कराना चाहिए या बहुत हल्का भोजन देना चाहिए। इससे सभी तरह के बुखार ठीक हो जाते हैं।
कई बार आँखों पर भी ठंडे पानी की पट्टी रखी जाती है। इससे आँखों की ज्योति बढ़ती है और उसकी सभी शिकायतें दूर हो जाती हैं।
-- डाॅ विजय कुमार सिंघल
प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य
मो. 9919997596
मार्गशीर्ष पूर्णिमा, सं 2076 वि (12 दिसम्बर 2019)

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